Monday, August 17, 2009

अंबिकापुर में कहां ठहरें क्या खाएं



अंबिकापुर की एक और खासियत है, कम कीमत पर अच्छी सुविधाएं. यहां कम रेट में रहने,खाने और घुमने की व्यवस्था हो जाती है. अगर आप यहां सिर्फ घुमने के लिए आए हैं और आपको किसी भी तरह की फोर व्हीलर (Four Wheeler) की आवश्यकता है तो आप एक फोन पर गाड़ी मंगा सकते हैं
1- कॉम पाइंट मोटर्स, रामानुजगंज रोड
+91-9754926444
2- लक्ष्मी ट्रेवल्स, गांधीनगर

यहां ठहरने के लिए सरकारी गेस्ट हाऊस है इसके अलावा कई आधुनिक सुविधाओं से लैस होटल हैं. कुछ प्रमुख होटल ये हैं
1 होटल पंचशील, ब्रह्मरोड
2 होटल मयूरा, खरसिया रोड
3 होटल बसंत,खरसिया रोड
4 होटल देव,देवीगंज रोड
5 होटल बीरेन्द्र प्रभा, बस स्टैंड के पास

इसके अलावा कई रेस्टोरेंट है जहां अलग अलग तरह की डिशेश का मज़ा लिया जा सकता है. अंबिकापुर मशहूर है अपने नाश्ते और मिठाईयों की शुद्धता के लिए. यहां आएं और बिना खाए आप चले जाएं तो समझिए आपकी यात्रा अधूरी है.हिंदुस्तान के पहले साप्ताहिक अखबार चौथी दुनिया ने एक लेख में पुलिस लाईन वाले "राजेश स्वीट्स" के समोसों को भारत का सबसे अच्छा समोसा करार दिया है(पढ़िये अगस्त का पहला अंक), दो तरह की चटनी और दही के साथ.इसके अलावा मिठाईयों की शुद्धता और गुणवत्ता के लिए भी ये दुकान मशहूर है. मिठाईयों के लिए कुछ और नाम हैं जैसे पंचशील स्वीट्स,राजस्थान स्वीट्स,बीकानेर स्वीट्स और रघुनाथपुर का जायसवाल स्वीट्स.

Friday, April 24, 2009

पिकनिक का शहर अंबिकापुर



चेन्द्रा ग्राम

मैनपाटअम्बिकापुर- रायगढ राजमार्ग़ पर 15 किमी की दुरी पर चेन्द्रा ग्राम स्थित हैं। इस ग्राम से उत्तर दिशा में तीन कि.मी. की दुरी पर यह जल प्रपात स्थित हैं। इस जलप्रपात के पास ही वन विभाग का एक नर्सरी हैं, जहां विभिन्न प्रकार के पेड-पौधों को रोपित किया गया हैं। इस जल प्रपात में वर्ष भर पर्यटक प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेने जाते हैं। यहां पर एक तितली पार्क भी विकसित किया जा रहा है।





[संपादित करें] ठिनठिनी पत्थर
अम्बिकापुर नगर से 12 किमी. की दुरी पर दरिमा हवाई अड्डा हैं। दरिमा हवाई अड्डा के पास बडे - बडे पत्थरो का समुह है। इन पत्थरो को किसी ठोस चीज से ठोकने पर आवाजे आती है। सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि ये आवाजे विभिन्न धातुओ की आती है। इनमे से किसी - किसी पत्थर खुले बर्तन को ठोकने के समान आवाज आती है। इस पत्थरो मे बैठकर या लेटकर बजाने से भी इसके आवाज मे कोइ अंतर नही पडता है। एक ही पत्थर के दो टुकडे अलग-अलग आवाज पैदा करते है। इस विलक्षणता के कारण इस पत्थरो को अंचल के लोग ठिनठिनी पत्थर कहते है।





[संपादित करें] सतमहला
अम्बिकापुर के दक्षिण में लखनपुर से लगभग दस कि.मी. की दूरी पर कलचा ग्राम स्थित है, यहीं पर सतमहला नामक स्थान है। यहां सात स्थानों पर भग्नावशेष है। एक मान्यता के अनुसार यहां पर प्राचिन काल में सात विशाल शिव मंदिर थे, जबकि जनजातियों के अनुसार इस स्थान पर प्राचीन काल में किसी राजा का सप्त प्रांगण महल था। यहां पर दर्शनीय स्थल शिव मंदिर, षटभुजाकार कुंआ और सूर्य प्रतिमा है।


[संपादित करें] महामाया मन्दिर
सरगुजा जिले के मुख्यालय अम्बिकापुर के पूर्वी पहाडी पर प्राचिन महामाया देवी का मंदिर स्थित है। इन्ही महामाया या अम्बिका देवी के नाम पर जिला मुख्यालय का नामकरण अम्बिकापुर हुआ। एक मान्यता के अनुसार अम्बिकापुर स्थित महामाया मन्दिर में महामाया देवी का धड स्थित है इनका सिर बिलासपुर जिले के रतनपुर के महामाया मन्दिर में है। इस मन्दिर का निर्माण महामाया रघुनाथ शरण सिहं देव ने कराया था। चैत्र व शारदीय नवरात्र में विशेष रूप अनगिनत भक्त इस मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करते है।


[संपादित करें] तकिया
अम्बिकापुर नगर के उतर-पूर्व छोर पर तकिया ग्राम स्थित है इसी ग्राम में बाबा मुराद शाह, बाबा मुहम्मद शाह और उन्ही के पैर की ओर एक छोटी मजार उनके तोते की है यहां पर सभी धर्म के एवं सम्प्रदाय के लोग एक जुट होते हैं मजार पर चादर चढाते हैं और मन्नते मांगते है बाबा मुरादशाह अपने "मुराद" शाह नाम के अनुसार सबकी मुरादे पूरी करते हैं। इसी मजार के पास ही एक देवी का भी स्थान है इस प्रकार इस स्थान पर हिन्दू देवी देवता और मजार का एक ही स्थान पर होना धार्मिक एवं सामाजिक समन्वय का जीवंत उदाहरण है।





[संपादित करें] बिलद्वार गुफा
यह गुफा शिवपुर के निकट अम्बिकापुर से एक घण्टे की दूरी पर है| इसमें अनेक प्राचीन मूर्तियां हैं| इसमें महान नामक एक नदी का पानी निकलता रहता है, वहीं इस नदी का उद्गम भी है| इस गुफा का दूसरा छोर महामाया मंदिर के निकट निकलता है|


[संपादित करें] बांक जल कुंड
अम्बिकापुर से भैयाथान से अस्सी कि.मी की दूरी पर ओडगी विकासखंड है, यहां से 15 किमी. की दुरी पर पहाडियों की तलहटी में बांक ग्राम बसा है। इसी ग्राम के पास रिहन्द नदी वन विभाग के विश्राम गृह के पास अर्द्ध चन्द्राकार बहती हुई एक विशाल जल कुंड का निर्माण करती है। इसे ही बांक जल कुंड कहा जाता है। यह जल कुंड अत्यंत गहरा है, जिसमें मछलियां पाई जाती है। यहां वर्ष भर पर्यटक मछलियों का शिकार करने एवं घुमनें आते हैं।


[संपादित करें] निकटवर्ती स्थल

[संपादित करें] सेदम जल प्रपात
अम्बिकापुर- रायगढ मार्ग पर अम्बिकापुर से 45 कि.मी की दूरी पर सेदम नाम का गांव है। इसके दक्षिण दिशा में दो कि.मी. की दूरी पर पहाडियों के बीच एक सुन्दर झरना प्रवाहित होता है। इस झरना के गिरने वाले स्थान पर एक जल कुंड निर्मित है। यहां पर एक शिव मंदिर भी है। शिवरात्री पर सेदम गांव में मेला लगता है। इस झरना को राम झरना के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर्यटक वर्ष भर जाते हैं।


[संपादित करें] मैनपाट

मैनपाटमैनपाट अम्बिकापुर से 75 किलोमीटर दुरी पर है इसे छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। मैंनपाट विन्ध पर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है अम्बिकापुर से मैंनपाट जाने के लिए दो रास्ते है पहला रास्ता अम्बिकापुर-सीतापुर रोड से होकर जाता और दुसरा ग्राम दरिमा होते हुए मैंनपाट तक जाता है। प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर यह एक सुन्दर स्थान है। यहां सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मैनपाट से ही रिहन्द एवं मांड नदी का उदगम हुआ है।

इसे छत्तीसगढ का तिब्बत भी कहा जाता हैं। यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौध मंदिर आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर एक सैनिक स्कूल भी प्रस्तावित है। यह कालीन और पामेरियन कुत्तो के लिये प्रसिद्ध है।


[संपादित करें] शिवपुर
अम्बिकापुर से प्रतापपुर की दूरी 45 किमी. है। प्रतापपुर से 04 किमी. दूरी पर शिवपुर ग्राम के पास एक पहाडी की तलहटी में अत्यंत मनोरम प्राकृतिक वातावरण में एक प्राचीन शिव मंदिर है। इस पहाडी से एक जलस्त्रोत झरने के रुप में प्रवाहित होता है। यह झरना शिव लिंग पर गंगाधारा के रुप में प्रवाहित होता हुआ नीचे की ओर बहता है। इस मनोरम दृश्य को देखकर आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती है। इसे लोक शिवपुर तुर्रा भी कहते हैं। यह स्थान पवित्र माना जाता है एवं जन सामान्य द्वारा पूजित है। यहां पर महाशिव रात्रि पर मेला लगता है। शिवपुर तुर्रा को 1992में शासन द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है।


[संपादित करें] देवगढ
अम्बिकापुर से लखंनपुर 28 किमी. की दूरी पर है एवं लखंनपुर से 10 किमी. की दूरी पर देवगढ स्थित है। देवगढ प्राचीन काल में ऋषि यमदग्नि की साधना स्थलि रही है। इस शिवलिंग के मध्यभाग पर शक्ति स्वरुप पार्वती जी नारी रुप में अंकित है। इस शिवलिंग को शास्त्रो में अर्द्ध नारीश्वर की उपाधि दी गई है। इसे गौरी शंकर मंदिर भी कहते है। देवगढ में रेणुका नदी के किनारे एकाद्श रुद्ध मंदिरों के भग्नावशेष बिखरे पडे है। देवगढ में गोल्फी मठ की संरचना शैव संप्रदाय से संबंधित मानी जाती है । इसके दर्शनीय स्थल, मंदिरो के भग्नावशेष, गौरी शंकर मंदिर, आयताकार भूगत शैली शिव मंदिर, गोल्फी मठ, पुरातात्विक कलात्मक मूर्तियां एवं प्राकृतिक सौंदर्य है।


[संपादित करें] सेमरसोत
1978 में स्थापित सेमरसोत अभ्यारण्य सरगुजा जिलें के पूर्वी वनमंडल में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 430.361 वर्ग कि. मी. है। जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 58 कि.मी. की दूरी पर यह बलरामपुर, राजपुर, प्रतापपुर विकास खंडों में विस्तृत है। अभ्यारण्य में सेंदुर, सेमरसोत, चेतना, तथा सासू नदियों का जल प्रवाहित होता है। अभ्यारण्य के अधिकांश क्षेत्र में सेमर सोत नदी बहती है इस लिए इसका नाम सेमरसोत पडा। इसका विस्तार पूर्व से पश्चिम 115 कि.मी. और उत्तर से दक्षिण में 20 कि.मी. है। यहां पर शेर, तेन्दुआ, सांभर, चीतल, नीलगाय, वार्किगडियर, चौसिंहा, चिंकरा, कोटरी जंगली कुत्ता, जंगली सुअर, भालू, मोर, बंदर, भेडियां आदि पाये जाते हैं।


[संपादित करें] तमोर पिंगला
1978 में स्थापित अम्बिकापुर-वाराणसी राजमार्ग के 72 कि. मी. पर तमोर पिंगला अभ्यारण्य है जहां पर डांडकरवां बस स्टाप है। 22 कि.मी. पश्चिम में रमकोला अभ्यारण्य परिक्षेत्र का मुख्यालय है। यह अभ्यारंय 608.52 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल पर बनाया गया है जो वाड्रफनगर क्षेत्र उत्तरी सरगुजा वनमंडल में स्थित है। इसकी स्थापना 1978 में की गई। इसमें मुख्यत: शेर तेन्दुआ, सांभर, चीतल, नीलगाय, वर्किडियर, चिंकारा, गौर, जंगली सुअर, भालू, सोनकुत्ता, बंदर, खरगोश, गिंलहरी, सियार, नेवला, लोमडी, तीतर, बटेर, चमगादड, आदि मिलते हैं।


[संपादित करें] कैलाश गुफा
अम्बिकापुर नगर से पूर्व दिशा में 60 किमी. पर स्थित सामरबार नामक स्थान है, जहां पर प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है। इसे परम पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी नें पहाडी चटटानो को तराशंकर निर्मित करवाया है। महाशिवरात्रि पर विशाल मेंला लगता है। इसके दर्शनीय स्थल गुफा निर्मित शिव पार्वती मंदिर, बाघ माडा, बधद्र्त बीर, यज्ञ मंड्प, जल प्रपात, गुरूकुल संस्कृत विद्यालय, गहिरा गुरू आश्रम है।


[संपादित करें] तातापानी
अम्बिकापुर-रामानुजगंज मार्ग पर अम्बिकापुर से लगभग 80 किमी. दुर राजमार्ग से दो फलांग पश्चिम दिशा मे एक गर्म जल स्त्रोत है। इस स्थान से आठ से दस गर्म जल के कुन्ड है। इस गर्म जल के कुन्डो को सरगुजिया बोली मे तातापानी कहते है। ताता का अर्थ है- गर्म। इन गर्म जलकुंडो मे स्थानीय लोग एवं पर्यटक चावल ओर आलु को कपडे मे बांध कर पका लेते है तथा पिकनिक का आनंद उठाते है।इन कुन्डो के जल से हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गन्ध आती है। एसी मान्यता है कि इन जल कुंडो मे स्नान करने व पानी पीने से अनेक चर्म रोग ठीक हो जाते है। इन दुर्लभ जल कुंडो को देखने के लिये वर्ष भर पर्यटक आते रहते है।


[संपादित करें] सारासौर

सारासौरअम्बिकापुर - बनारस रोड पर 40 किमी. पर भैंसामुडा स्थान हैं। भैंसामुडा से भैयाथान रोड पर 15 किमी. की दूरी पर महान नदी के तट पर सारासौर नामक स्थान हैं। यहां पर महान नदी दो पहाडियों के बीच से बहने वाली जलधारा के रुप मे देखी जा सकती हैं। इस जलधारा के मध्य एक छोटा टापू है, जिस पर भव्य मंदिर निर्मित है जिंसमे देवी दुर्गा एवं सरस्वती की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर को गंगाधाम के नाम से जाना जाता है।





[संपादित करें] लक्ष्मणगढ
अम्बिकापुर से 40 किमी. की दूरी पर लक्ष्मणगढ स्थित है। यह स्थान अम्बिकापुर - बिलासपुर मार्ग पर महेशपुर से 03 किमी. की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि इसका नाम वनवास काल में श्री लक्ष्मण जी के ठहरने के कारण पडा। य़ह स्थान रामगढ के निकट ही स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थल शिवलिंग(लगभग 2 फिट), कमल पुष्प, गजराज सेवित लक्ष्मी जी, प्रस्तर खंड शिलापाट पर कृष्ण जन्म और प्रस्तर खंडो पर उत्कीर्ण अनेक कलाकृतिय़ां है।


[संपादित करें] कंदरी प्राचीन मंदिर
अम्बिकापुर- कुसमी- सामरी मार्ग पर 140 किमी. की दूरी पर कंदरी ग्राम स्थित है। यहां पुरातात्विक महत्व का एक विशाल प्राचीन मंदिर है। अनेक पर्वो पर यहां मेले का आयोजन होता रहता है। यहां के दर्शनीय स्थल - अष्ट्धातु की श्री राम की मूर्ति, भगवान शिव की मूर्ति, श्री गणेश की मूर्ति, श्री जगन्नथ जी की काष्ठ मूर्ति और देवी दुर्गा की पीतल की कलात्मक मूर्ति और प्राकृतिक सौंदर्य है।


[संपादित करें] आवागमन
सडक मार्ग
छत्तीसगढ राज्य में :

रायपुर से अम्बिकापुर (जिला मुख्यालय) - 358 किमी
बिलासपुर से अम्बिकापुर- 230 किमी
रायगढ से अम्बिकापुर- 210 किमी
मध्यप्रदेश राज्य में: अनुपपुर से अम्बिकापुर - 205 किमी
उत्तरप्रदेश राज्य में: वाराणसी से अम्बिकापुर - 350 किमी
झारखंड राज्य में: रांची से अम्बिकापुर - 368 किमी
उडीसा राज्य में: झारसुगुडा से अम्बिकापुर- 415 किमी
रेल मार्ग
सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर 03 जुन 2006 से रेल मार्ग से जुड गया है । अम्बिकापुर शहर के मुख्य मार्ग देवीगंज रोड पर स्थित गांधी चौक से रेल्वे स्टेशन की दुरी लगभग 5 किमी है। यहां से टैम्पो, टैक्सी इत्यादी से अम्बिकापुर शहर आया जा सकता है। आप निम्न ट्रेंन रुट का प्रयोग अम्बिकापुर आने के लिये कर सकते है:

नई दिल्ली से अनुपपुर >> अनुपपुर से अम्बिकापुर
मुंबई से बिलासपुर >> बिलासपुर से अम्बिकापुर
चेन्नई से बिलासपुर >> बिलासपुर से अम्बिकापुर
कोलकाता से रायगढ >> रायगढ से अम्बिकापुर
बिलासपुर से अम्बिकापुर आने के लिये बस और ट्रेंन दोनो का प्रयोग किया जा सकता है। बस अम्बिकापुर तक सीधे आती है जबकी ट्रेंन अनुपपुर (मध्यप्रदेश) होतें हुये अम्बिकापुर तक आती है। रायगढ से अम्बिकापुर आने के लिये बस की सुविधा ही उपलब्ध है।

वायु मार्ग
अम्बिकापुर सीधे आने के लिये वायु मार्ग उपलब्ध नहीं है, आप रायपुर तक देश के निम्न स्थानों से वायु मार्ग से आ सकते है, उसके बाद रायपुर से अम्बिकापुर आने के लिये बस का प्रयोग करना होगा।